जीवनसाथी का चुनाव करते समय लोगों से होने वाली 3 आम गलतियाँ

आप जिस व्यक्ति के साथ अपनी बाकी की जिंदगी बिताना चाहते हैं, उसका मिलना दुनिया की सबसे अच्छी बात लगती है। ऐसा होने पर आप सातवें आसमान पर पहुँच जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए, जीवनसाथी का चुनाव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय होता है और यह निर्णय सोचसमझकर लेना बहुत जरूरी है।

बहुत-से अध्ययन यह बताते हैं कि शादी के बाद असंतोष बहुत आम बात है और यह अधिकतर इस वजह से पैदा होता है कि लोग जीवनसाथी का चुनाव करते समय ठीक से विचार नहीं करते हैं।

खैर, यहाँ हमने उन तीन गलतियों की सूची बनाई है जो लोग अपने जीवनसाथी के चुनाव के समय आमतौर पर करते हैं:

  1. खुद की प्राथमिकताओं और उम्मीदों की जानकारी का अभाव

 शादी आपके जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लेकर आती है। और परिवर्तन के इस दौर में, संभव है कि हम अपनी प्राथमिकताओं और अपने जीवनसाथी से उम्मीदों के आकलन में गलती कर बैठें। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि सभी प्राथमिकताओं का विश्लेषण कर उनकी सूची बना ली जाए।

मान लीजिए आप देश के बाहर जाकर नौकरी करना चाहते हैं। तो आपको यह भी सोचना होगा कि इस कदम का आपके जीवनसाथी और आप दोनों के संबंधों पर क्या असर होगा।

साथ ही, यह जानना और याद रखना कि अपने जीवनसाथी से आपकी क्या उम्मीदें हैं, इसमें मदद करेगा कि क्या आपसे मिलने वाला लड़का/लड़की वाकई वही है जो आप चाहते हैं।

  1. आपके जीवनसाथी की प्राथमिकताओं और उम्मीदों की सही जानकारी का अभाव

कई बार यह भी होता है कि लोग अपने जीवनसाथी की प्राथमिकताएँ और उम्मीदें ठीक से नहीं समझ पाते हैं। उदा. के तौर पर, यदि आपके संभावित जीवनसाथी अपने विचारों और भावनाओं को खुलकर बताने में यकीन रखते हैं, तो वे आपसे भी यही उम्मीद करेंगे।

खुले दिल से बातचीत अपने जीवनसाथी की प्राथमिकताओं और उम्मीदों को समझने का अच्छा उपाय है। आखिरकार, सबसे महत्वपूर्ण है कि आप उन्हें व्यक्तिगत तौर पर कितना समझने को तैयार हैं।

साफ बातचीत और आपसी समझ हमें अपने तीसरे मुद्दे पर लाती है, जो है-

  1. पूछने के बजाय मान लेना

बहुत सी बार, हम अपनी समझ के आधार पर अपने जीवनसाथी के बारे में धारणाएँ बना लेते हैं। आप किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी स्वयं उस व्यक्ति से पूछकर ही प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप धारणाएँ बना रहे हैं, तो आप ऐसी उम्मीदें लगा रहे हैं जो शायद आपका जीवनसाथी पूरी ही न कर पाए। उदा. के तौर पर, यदि आपके जीवनसाथी का परिवार पारंपरिक विचार रखता है, तो यह माना जा सकता है कि वे भी ऐसे ही सोचते हों। जबकि यह जरूरी नहीं कि उनके विचार वैसे ही हों।

आपको सिर्फ पूछना ही तो है।

यह सुनने में काफी आसान लगता है, लेकिन मानव मन अपने विचारों के अनुरूप धारणाएँ बनाने का अधिक अभस्त है। इसलिए आपको अपने मन को पूछने के लिए प्रशिक्षण देना पड़ेगा।

निष्कर्ष:

स्वस्थ संबंध वो है जहाँ आप अपने जीवनसाथी को भलीभांति समझते हों और वे आपको। ऊपर बताई गई 3 गलतियाँ इतनी ज्यादा की जाती हैं कि अक्सर उन्हें गलती समझा ही नहीं जाता। पर चूंकि आप अब इन्हें जान गए हैं तो आप अपने जीवनसाथी की खोज के दौरान इनसे बच सकते हैं। क्या आपसे इनमें से कोई गलती हुई है? हमें नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएँ।

 

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